कैसा रहेगा हिन्दू नववर्ष : नवसंवत्सर 2079
सीमा श्रीवास्तव
"प्रकृति दुल्हन का रूप धार ,
जब स्नेह सुधा बरसायेगी ,
शस्य श्यामला धरती माता ,
घर-घर खुशहाली लाएगी ,
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि,
नव वर्ष मनाया जाएगा ।
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जाएगा,।
युक्ति प्रमाण से स्वयंसिद्ध ,
नववर्ष हमारा हो प्रसिद्ध ,
आर्यो की कीर्ति सदा सदा ,
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ।'
रामधारी सिंह दिनकर जी की इन पंक्तियों में हिंदू नव वर्ष,जो चैत्र प्रतिपदा से शुरू होता है, की महत्ता और नववर्ष के इस दिन से शुरू होने के औचित्य का बखान है ।जॉर्जियन कैलेंडर की तरह 1 जनवरी से नव वर्ष शुरू होना मात्र अंको के द्वारा काल गणना करने का एक सुगम साधन मात्र है।, हिंदू नव वर्ष चैत्र माह की प्रतिपदा से मनाया जाता है इस समय सर्दी समाप्त हो चुकी होती है और वसंत का मौसम होता है हर तरफ पुराने पत्ते टूट कर पेड़ों पर नए पत्ते और कलियां आती हैं फसल खेतों में पककर तैयार होने के साथ ही प्रसन्नता और आशा का संचार करती है ।ऋतु के परिवर्तन से प्रकृति के साथ ही साथ मानव देह और मन में उत्साह का संचार होता है ।
हिन्दू धर्म जो कि आदि है ,सनातन है , के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करी थी और इसी कारण यह वर्ष का प्रथम दिवस है। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में अवतार लिया था। शालिवाहन राजाओं द्वारा शकों पर विजय के फल स्वरूप इसी दिन से शक संवत प्रारंभ हुआ । इसी दिन से विक्रम संवत का प्रारंभ हुआ जो कि है काल गणना का सर्वोत्तम गणक है जिस का प्रारंभ उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने किया , जिन के समय में वराहमिहिर जैसे महान कालजयी वैज्ञानिक हुए। वर्तमान काल या वर्ष 2079 संवत्सर है और इस वर्ष की गति कैसी रहेगी ?और क्या उतार-चढ़ाव आएंगे? वर्षा कैसी रहेगी? राजनीतिक स्थिति कैसी रहेगी ? इन्हीं परिस्थितियों , विदेशी और देसी इत्यादि समीकरणों के पूर्वानुमान के लिए चैत्र प्रतिपदा को आकाश में ग्रह मंत्रिमंडल की गणना करके पूर्वानुमान दिए जाते है।इसी दिन पंचांग भी पढ़ा जाता है जो आगामी एक वर्ष की ग्रह, गोचर और उनके फलादेश की स्थिति स्पष्ट करता है।
इस वर्ष के नव संवत्सर 2079 के राजा शनि देव और मंत्री बृहस्पति महाराज हैं। इसी प्रकार धनेश शनि और सेनापति बुध हैं धान्येश शुक्र और सस्येश तथा निरसेश भी शनि , रसेश चंद्रमा ,मेघेश बुध तथा फलेेश मंगल है।
नव संवत्सर के राजा न्याय के देवता शनि हैं जो कर्मा अधिकारी होने के साथ-साथ दंडाधिकारी भी है। जो जैसा करेगा वैसा ही फल पाएगा। न्यायप्रिय लोगों को लाभ होगा और अनाचार करने वाले पीड़ित होंगे । विभिन्न प्रकार से नुकसान भी उठायेंगे । राजा होने के साथ-साथ धनेश होने के कारण ,ऐसा प्रतीत होता है कि इस काल में सरकार के द्वारा टैक्स कलेक्शन में और दृढ़ता आयेगी और जनता को छूट मिलना मुश्किल होगा। बहुत बार जनमानस में निराशा का भी संचार होगा । फिर भी जो लोग न्याय और नीति से चलेंगे वे लाभ में रहेंगे। सामाजिक रूप से पिछड़े ,अनुसूचित ,पद दलित और गरीब शासन की वरीयता सूची में रहेंगे ।
वर्ष के राजा के मंत्री बृहस्पति है जो गुरुदेव है। वे नैसर्गिक है और वर्तमान मंत्री परिषद में सलाहकार की ही भूमिका में हैं ।ज्ञान, विवेक और मंत्रणा के देवता बृहस्पति धर्माधिकारी भी हैं। वह सुनिश्चित करेंगे कि सभी कार्य धर्मानुसार एवं नीति, नियम से होवे । इस वर्ष धर्म नीति में उत्थान देखने को मिल सकता है। धार्मिक क्रियाकलापों में भी वृद्धि होगी । एवं सत्य से एवं न्याय , साथ ही न्यायालय से जुड़े कार्यों में भी नैतिकता का बोलबाला रहेगा एवं ऐसे सभी व्यक्ति या संस्थान उच्च कोटि के निर्णय लेते हुए देखा जा सकता है।
धन, संतान ,वैवाहिक जीवन से संबंधित कार्यों में संचालन निर्बाध होगा एवं माता, पिता एवं गुरु के आशीर्वाद से कार्यों में सफलता प्राप्त होगी । खाद्य पदार्थों या खानपान में प्रचुरता रहेगी एवं खान पान की प्रवृत्ति में वृद्धि दिखाई देगी।
शनि के धनेश , सस्येश, तथा निर्सेश होने के कारण आर्थिक नीतियों ,कार्यकलापों एवं नीति निर्धारण में वंचितों ,दीनों , पिछडों , दलितों एवं अनुसूचितों को वरीयता मिलेगी एवं वे निश्चित ही लाभान्वित होंगे । तकनीकी क्षेत्र में व्यापार बढ़ेगा और लाभ प्राप्त होगा। निर्माण संबंधी कार्यों में गति आएगी एवं इंफ्रास्ट्रक्चर में भी धन का उपयोग बढ़ेगा। अन्न या धान्य तथा फल तरकारियों के भंडारण के उपायों पर भी व्यय होगा । और उनसे लाभ भी मिलेगा । श्रम शक्ति तथा कृषि के बीच में संतुलन सबसे उच्च रूप दिखेगा । व्यापारी वर्ग, टैक्स में अधिक छूट न मिलने के बाद भी प्रसन्न रहेगा । तेल ,कोयला, पेट्रोलियम ,खनिजो के व्यापार में लाभ और उनके इंपोर्ट और एक्सपोर्ट से धन का प्रवाह और लाभ मिलता रहेगा ।
इस वर्ष के सेनापति बुध हैं । बीते वर्ष युद्ध ,तनाव जैसी घटनाएं देखने को मिली थी । इस वर्ष जनता एवं राजा दोनों ही का बुद्धि वर्धन होगा । मानसिकता उच्च होगी। कूटनीति और शतरंज की चालों से पराक्रम, युद्ध और उनसे विजय, वर्चस्व एवं लाभ सुनिश्चित होगा। वैयक्तिक, सामाजिक ,राजनीतिक एवं वैश्विक संबंधों में कुटिल चालों से सावधान रहने की आवश्यकता है ,यह नुकसान देह साबित हो सकते हैं।
नव संवत्सर 2079 में जनता में स्वादिष्ट और जिह्वा को तृप्त करने वाले व्यंजनों में रुचि अधिक बढ़ेगी । सात्विक भोजन में रूझान कम होगा । चावल दूध ,दही ,घी और इससे बने उत्पादों की मांग बढ़ेगी और इससे लाभ भी होगा । संतरा ,आम ,अंगूर ,इमली ,कोकम जैसे फलों की खेती व व्यापार , विनिमय से लाभ होगा ।सफेद वस्तुओं का प्रभाव, प्रसार, प्रयोग, उपयोग एवं फलस्वरूप लाभ प्राप्त होगा। टेक्नोलॉजी एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के व्यापार में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी होगी।
कृषि उपज ठीक रहेगी। तिल, उड़द अलसी, ज्वार , मसूर जैसी उपज लाभप्रद होगी। वर्षा अच्छी रहेगी । सोना ,चांदी सामान्य रहेगा । लोहा और इमारतों व निर्माण में उपयोग होने वाले सामान की मांग बढ़ी बढ़ेगी और मूल्य भी।
सर्दी ज़ुकाम और जल से होने वाली बीमारियों के प्रति सावधान रहें और दूध, दही इत्यादि से होने वाली एलर्जी से सतर्क रहें । जिस प्रकार पिछले वर्ष उच्च रक्तचाप की समस्या बहुत बढ़ी थी ,इस वर्ष मधुमेह के रोगियों की संख्या में वृद्धि हो सकती है और जिन्हें पहले से है वे भी सावधानी बरतें ।
अंत में अच्छे नागरिक रहें। सात्विक रहे और सत्य और नैतिकता के पथ पर चलें तो यह वर्ष अच्छी तरह से गुजरेगा। जय श्री कृष्ण
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