युग परिवर्तन के साक्षी : आप और हम,
ग्रहों का राशि परिवर्तन
🌹 सीमा श्रीवास्तव
अप्रैल माह या चैत्र माह वर्ष का प्रथम माह है, और इस माह में आकाश में सारे के सारे ग्रह अपनी - अपनी ,राशि परिवर्तन कर रहे हैं। यह एक दुर्लभ और आश्चर्यजनक आकाशीय घटना है , जो बहुत लंबे समय के बाद घटने जा रही है। यद्यपि सूर्य ,चंद्र , मंगल और बुध तथा शुक्र जैसे ग्रह तो दिवस माह या 2 माह में राशि परिवर्तन कर ही लेते हैं ,और उसी के अनुसार भौगोलिक और भौतिक परिस्थितियों में परिवर्तन होते ही रहते हैं, किंतु इस बार सौर मंडल के दो विशाल ग्रह गुरु और शनि अपनी राशि परिवर्तन कर रहे हैं ।और उनके साथ ही दो छाया ग्रह राहु और केतु भी राशि परिवर्तन कर रहे हैं ।राहु और केतु छाया या आभासी होकर भी ज्योतिष या खगोल विज्ञान में अति विशिष्ट स्थान रखते हैं और इनके विश्लेषण से दूरगामी परिणामों का आकलन किया जाता हैं।
सौर मंडल में सभी ग्रहों का एक साथ राशि परिवर्तन अति विशिष्ट उल्लेखनीय घटना है, और यह विश्लेषण हेतु विचारणीय भी है क्योंकि यह सभी ग्रह मात्र एक मास से भी कम समय में, लगभग 20 दिन के अंतराल में अपनी- अपनी राशि बदल रहे हैं । और उससे भी अधिक उल्लेखनीय और दुर्लभ घटना यह है कग सभी ग्रह प्राय अपनी अपनी शुभ राशि, उच्च राशि या स्वराशि में गोचर करने जा रहे हैं।
7 अप्रैल 2022 को मंगल मकर से कुंभ में पारायण करेंगे और स्वनक्षत्र धनिष्ठा में अत्यंत बली अवस्था में रहेंगे।
8 अप्रैल 2022 को बुध मीन राशि से मेष में जाएंगे जहां 13 अप्रैल को उदय होंगे तथा 24 अप्रैल को मित्र की राशि वृष में प्रवेश करेंगे।
11 अप्रैल 2022 को राहु वृषभ से मेष में संक्रमण करेंगे एवं केतु वृश्चिक राशि से तुला में जाएंगे।
13 अप्रैल 2022 को सौर मंडल के अति विशाल ग्रह बस बृहस्पति का स्वराशि मीन में संक्रमण होगा जहां वह अप्रैल 2023 तक रहेंगे।
14 अप्रैल 2022 को नैसर्गिक आत्म कारक एवं सौर्य मंडल के स्वामी सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष में संक्रमण करेंगे।
27 अप्रैल 2022 हो शुक्र देव अपनी उच्च राशि मीन में प्रवेश करेंगे।
28 अप्रैल 2022 को सौर मंडल और ज्योतिष में सर्वाधिक दीर्घकालिक और विशेष स्थान प्राप्त शनि महाराज अपनी प्रिय कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे।
उपरोक्त राशि परिवर्तन से प्रायः सभी ग्रहों के प्रसन्न और उत्साहित रहने और शुभ परिणाम देने की आशा है।
इन सभी राशि परिवर्तन के भौगोलिक, भौतिक, सामाजिक ,राजनीतिक , एवं आर्थिक, सभी पक्षों पर युगांतर कारी परिणाम देखने को मिलेंगे । इसीलिए ऊपर लेख के शीर्षक में युग परिवर्तन की बात कही गई है । कहावत है और यह अनुभूत सत्य भी है कि समय का पहिया घूमता रहता है। जो आज नीचे है, वह कल ऊपर आएगा और जो ऊपर है, वह नीचे जाएगा। हमें उपरोक्त सभी क्षेत्रों में ऐसे ही 180 डिग्री के परिवर्तनकारी परिणाम देखने को मिलेंगे । और यह भी संभव है की दशकों या सदियों के बाद दुनिया 360 डिग्री के विस्मयपूर्ण, परिवर्तनकारी प्रणाम भी दिखें । इसी को युग बदलना या युग परिवर्तन कहते हैं ।
यद्यपि संसार एक दिन में नहीं बदलता किंतु इसकी प्रक्रिया तो पहले ही से प्रारंभ हो चुकी थी । कोरोना काल ने बहुत सी व्यवस्थाओको बदला है और नये युग की जमीन तैयार करने में योगदान दिया है । हम सभी एक नए युग में प्रवेश के संक्रमण काल से गुजर रहे हैं । संक्रमण काल सदैव ही कष्टकारी होता है। और साथ ही यह सावधान रहने का समय होता है। कोई भी ऋतु, व्यवस्था या अवस्था को बदलने में असुविधा होती है , किंतु उसके बाद जो व्यवस्था आएगी , वह सुखद होगी, कि नहीं, यह आशंका सदैव बनी रहती है । किन्तु परिणाम उत्साह वर्धक ही होंगे, ग्रहों का सुखद राशि परिवर्तन यह संकेत दे रहे हैं । इसी कारण हम आप सब जो भी इस युग में हैं, वे इस युग परिवर्तन के साक्षी हैं।
जब वैश्विक रूप में बड़े-बड़े परिवर्तन होते हैं ,तो उनका प्रभाव सामान्य जनजीवन और जनमानस पर अवश्य आता है। किंतु उससे प्राप्त सुख या पीड़ा व्यक्ति के व्यक्तिगत जन्मांग या जन्म कुंडली पर निर्भर करता है ।आगे के अंको में अलग-अलग ग्रहों के वैश्विक, समाज ,राजनीतिक ,भौगोलिक ,भौतिक, आध्यात्मिक और प्रतिदिन के व्यक्तिगत प्रभावों पर चर्चा करूंगी ।अभी तो प्रभु सुमिरन और प्रभु भक्ति ही ,पीड़ा से मुक्ति और आनंद एवं शक्ति का मार्ग प्रशस्त करेंगे ।जय श्री कृष्ण🙏🙏
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