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मेरे राम

Writer's picture: seemavedicseemavedic

मेरे न तुम्हारे

राम तो सगारे,

राम चले आयें

जो राम राम पुकारे।

हृदय थे आकुल,

राम नाम के व्याकुल,

सरयू किनारे

राम राम पुकारे ।

वर्षों व्यतीत हुए,

अल्हड़ से

गंभीर हुए,

वनवासों का त्रास सहा,

युद्ध युद्ध

अभ्यास रचा ।

न्यालालय के स्वांग रचाए,

ञृतुओं ने टेंट लगाए ।

कलयुग का काल था,

द्विगुणित वनवास था ।

मातायें अधीर हुई,

पीड़ायें

अब पूर्ण हुई ।

मन आंगन

दीवाली मनाएं है,

मेरे राम

आज घर आएं हैं।


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