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मानसून का हाल ; खुशहाल या ‌बेहाल

Writer's picture: seemavedicseemavedic

मानसून। का हाल: खुशहाल या ‌बेहाल (It was published in Newspaper on 15 /7/2021) मौसम विभाग ने इस वर्ष मानसून के सामान्य रहने की भविष्यवाणी करी है ।सामान्य वर्षा अर्थात 100 प्रतिशत वर्षा ।मौसम विभाग प्रति वर्ष विभिन्न आधारों जैसे बंगाल की खाड़ी में समुद्री हलचल , एवं वायुदाब ,अरब सागर में होने वाली हलचल, एल-नीनो या‌ ला नीना इत्यादि को लेकर मानसून की भविष्यवाणी करते हैं और यह भविष्यवाणी ही आर्थिक गतिविधियों के जानकारों को यह बताने में सहायता करती है कि उस वर्ष भारत भूमि पर कृषि उपज कैसी रहेगी । वर्षा की स्थिति के आधार पर ही खद्यान्न की उपलब्धता संबंधी अनेकों अनुमान और आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान भी किया जाता है । किंतु मौसम संबंधी वर्तमान भविष्यवाणी की प्रणालियों का संचालन और सुचारू एवं सटीक अनुमान देने के लिए बहुत परिश्रम ,बुद्धि ,अनुसंधान और वैज्ञानिक संसाधन तथा अंतरिक्षीय प्रणालियों जैसे सेटेलाइट्स का सहारा लिया जाता है।

किंतु भारतीय वैदिक परंपरा में प्राचीन काल से मौसम संबंधी सटीक भविष्यवाणी आधुनिक सेटेलाइट्स की उपलब्धता से बहुत पूर्व से की जा रही है और उनमें से वर्षा का अनुमान तो अत्याधिक महत्वपूर्ण और सटीक है। भारतीय ज्योतिष में प्रतिवर्ष सूर्य के आद्रा प्रवेश के साथ ही यह अनुमान लगाया जाता है कि उस वर्ष में वर्षा का क्या स्वरूप रहेगा। भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारतीय किसान सदियों से इसी आद्रा प्रवेश की गणना के अनुसार फसलों की बुवाई और उत्पादन करते आये है ।

मौसम विभाग के अनुसार सामान्य वर्षा होने का अनुमान हमारी वैदिक प्रणाली में कितना सटीक है,इस आलेख में उसका ही विश्लेषण किया गया हैं । इस वर्ष सूर्य देव ने 22 जून 2021 को आद्रा नक्षत्र में प्रवेश कर गए हैं। आद्रा नक्षत्र जल बाहुल्य है इसका स्वामित्व राहु के पास है और राहु स्वयं जल अधिक राशि में रोहिणी में विद्यमान है साथ ही आद्रा के राशीश भी जलीय हैं यद्यपि अस्त भी है, साथ ही रोहिणी के स्वामी चंद्रदेव भी पुन: शुक्र की राशि में जल तत्व से पूर्ण हैं । उल्लेखनीय है कि ‌ संवत के राजा और मंत्री दोनों ही मंगल हैं और वह स्वयं जल से भरपूर कर्क में शनि के नक्षत्र में शनि से दृष्ट है जो स्वयं पृथ्वी राशि में होने के साथ ही पुन: जलीय नक्षत्र में हैं साथ ही जल से भरी हुई मीन राशि को देख रहे हैं। केतु महाराज जल तत्व राशि में बैठकर और जल तत्व राशियों को ही दृष्ट कर रहे हैं। सूर्य के परिभ्रमण के साथ ही गुरु भी कुंभ राशि में वक्री हो गए हैं । शुक्र भी प्रजनन कारक होकर मिथुन से कर्क में जाने को उद्यत हैं पहले से ही मंगल बैठे हैं साथ ही शनि एवं गुरु की वक्री दृष्टि भी है । अतः उपरोक्त स्थितियां यही संकेत देती है कि यह मानसून प्रचुर मात्रा में वृष्टि लेकर आया है । वर्षा तो होगी और बहुतायत में होगी किन्तु , क्या यह वर्षा हमारी कृषि एवं जन जीवन के लिए को समुचित रूप से आनंद दायक होगा कि नहीं ? यह एक छुपा हुआ प्रश्न भी है और आशंका भी । ग्रहों की उपरोक्त स्थितियां यही संकेत देती हैं की वर्षा तो बहुत होगी अर्थात 100 से 110 प्रतिशत यह सामान्य वर्षा या सामान्य से अधिक भी हो सकती है और यह भारत भूमि और कृषि के लिए निश्चित ही शुभ स्थिति है।देश के छोटे-छोटे तालाबों और पोखरों से लेकर बड़े बड़े बांध जल से भरा जायेंगे । किंतु ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति से यह प्रश्न उठता है कि क्या वर्षा का वितरण समान होगा और यह देखना अति महत्वपूर्ण भी है । उपरोक्त ग्रह स्थिति बताती है कि कुछ क्षेत्रों में थोड़ी बहुत सामान्य वर्षा होगी किंतु अधिकतर स्थानों पर असामान्य वर्षा होगी और कुछ स्थानों पर सामान्य से भी कम वर्षा होगी । कुछ ही दिनों में ढेर सारा पानी गिर जाएगा और फिर बहुत दिनों तक सुखा भी रह सकता है । कम समय में ढेर सारी वर्षा होने से या बहुत दिनों तक वर्षा होते रहने से कृषि का नुकसान होने के साथ-साथ जनधन की हानि के भी संकेत हैं ।भूस्खलन होने के साथ ही , पानी के रिसाव के कारण धरती का हिलना एवं सरकना भी संभव है ।तेज हवा ,आंधी, तूफान के साथ ही कुछ स्थानों पर आकाशीय बिजली गिरने एवं बादल फटने की घटनाएं भी हो सकती हैं ।भारत के पूर्वी एवं उत्तर के पहाड़ी स्थानों पर पश्चिम में राजस्थान का कुछ हिस्सा, गुजरात, विशेष रुप से महाराष्ट्र एवं कर्नाटक तथा केरल में भी वर्षा की अधिकता देखी जा सकती है और उनसे जुड़ी उपरोक्त उल्लिखित परिस्थितियां भी दिख सकती हैं । पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली एवं आसपास के क्षेत्र ,हरियाणा के कुरुक्षेत्र एवं मध्य भारत में सामान्य से कम वर्षा भी दिख सकती है । समुद्री तटों से लगे क्षेत्रों में वर्षा के कारण होने वाली विशेष परिस्थितियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। समुद्री तूफान, चक्रवात के अतिरिक्त भी जलीय दुर्घटनाएं विशेषकर बड़े छोटे जहाजों से संबंधित घटनाओं व दुर्घटनाओं के प्रति सावधान रहने की आवश्यकता है । जुलाई 2004 में मुंबई में अतिवृष्टि से हुई घटना/ दुर्घटना की पुनरावृत्ति ना हो जाए इसके लिए वर्षा की परिस्थिति में प्रत्येक व्यक्ति को विशेष रूप से सतर्क एवं सावधान रहने की आवश्यकता है । पिछली गलतियों से सीख लेकर लापरवाही न बरतें ।उपरोक्त विश्लेषण डराने या अतिशयोक्ति या विधता दिखाने का प्रयास नहीं है अपितु सावधान और सतर्क रहकर वर्षा का आनंद लेने की चेतावनी के रूप में देखा जाना चाहिए।

इस काल में कुछ जीवों का प्रकोप भी देखा जा सकता है।कुछ जीवों की अधिकता उन्हें अपने प्राकृतिक क्षेत्र से बाहर निकल कर आबादी वाले क्षेत्रों की ओर ले जा सकती है । रेंगने वाले जीवों, कीड़ों मकोड़ों,जीवाणुओं/ विषाणुओं का प्रकोप भी बढ़ सकता है । आद्रा प्रवेश के साथ ही आगे आने वाले महीनों में ग्रहों की स्थिति एवं परिस्थितियों के कारण बने परिवेश में खाद्यान्नों के महंगे होने के भी संकेत हैं किंतु यह वर्षा का या मानसून का साइड इफेक्ट है जो कम या अधिक रूप में प्रतिवर्ष दिखता ही है । महंगाई और इसका विश्लेषण एक अलग विषय है लेकिन फिर भी यह मानसून के सामान्य रहने से भी जुड़ा है और मानसून की यह वकृी स्थिति कुछ स्थानों पर कृषि उपज यह फसलों को नुकसान भी पहुंचा सकती है । अतः वर्षा का आनंद अवश्य लें लेकिन सतर्कता के साथ ।जय श्री कृष्ण ।🙏🙏 सीमा श्रीवास्तव



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