काल पुरुष के मस्तक पर राहु का संचरण :राहु केतु का राशि परिवर्तन
सीमा श्रीवास्तव,🌹
ग्रहों का राशि परिवर्तन एक निरंतर और आवश्यक घटना है जो ब्रह्मांड की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने की अति आवश्यक प्रक्रिया का अंग है। ब्रह्मांड का नियम ही चलते रहना । वहां पर जो भी है सब चल रहा है । समय आगे बढ़ रहा है। कालगति में स्थिर कुछ भी नहीं है । स्थिरता का अर्थ है , मृत्यु। यद्यपि मृत्यु स्थिरता नहीं है, वह परिवर्तन है,। एक जीवंत स्थिति से दूसरी सक्रिय स्थिति में जाने के बीच की प्रक्रिया है और इसी क्रम में सारे तारे ,आकाशगंगा ,नक्षत्र , और ग्रह ,सभी चलते रहते हैं, और बदलते रहते हैं,। और इनके इस बदलाव का पृथ्वी वासी मनुष्यों पर क्या प्रभाव होगा इसी को जानने या अनुमान करने का प्रयास ज्योतिष करता है।
सौरमंडल में जब तब , अपने समय अनुसार कोई ना कोई ग्रह , राशि या स्थान परिवर्तन करता रहता है ,और इस परिवर्तन के अपने अपने प्रभाव होते हैं। वर्तमान काल में जबकि सब तरफ अफरा तफरी का दृश्य है, ऐसे में राहु का मेष और केतु का तुला राशि में संचरण, क्या प्रभाव देगा और क्या परिस्थितियां उत्पन्न कर सकता है तथा उनके शारीरिक, भौतिक, और मानसिक प्रभाव क्या होंगे ,यह लेख इसका आकलन करने का प्रयास मात्र है।
संपूर्ण विश्व के कल्याण के लिए गरल को अपने कंठ में रखने वाले नीलकंठ के गले में सर्पों की माला सदैव जागृत स्वरूप में रहती है । अभी तक वृषभ राशि में उच्च स्थिति प्राप्त राहु अब काल पुरुष के मस्तक पर गोचर कर ने जा रहे हैं। इसके साथ ही केतु महाराज तुला राशि में गोचर करेंगे यद्यपि इस स्थिति की प्रत्येक 18 वर्ष के अंतराल पर पुनरावृति होती है किंतु इस बार राहु और केतु के साथ ही गुरु का राशि परिवर्तन कुछ विशेष घटनाओं का कारण बनेगा।
यह परिवर्तन, बुद्धि और विचारों को विचलित करेगा , भ्रमित करेगा ।, हिंसक प्रवृतियां
सर उठाएंगी ।भ्रम का वातावरण बनेगा ।और विवाद उत्पन्न होंगे। लड़ाई झगड़ा ,मारपीट, हिंसक वारदातें,वर्ग संघर्ष , दंगों की घटनाएं समाज को विचलित करेंगी। आग्नेय अस्त्र , आगजनी ,बम विस्फोट , इत्यादि के प्रति सावधान रहने की आवश्यकता है। खतरनाक या संवेदनशील की श्रेणी में आने वाले उद्योगों और फैक्टरी में कार्य करने वाले विशेष सतर्क रहें।
आकाश और हवाई यात्राओं में विशेष सावधानी बरतें। जंगल में आग लगने की घटनाएं और समुद्री क्षेत्रों में दुर्घटनाओं के प्रति सावधान रहने की आवश्यकता है । वाहन सावधानी से चलाएं ।सावधान रहने का अर्थ है कि कार्यों का निष्पादन नियमानुसार तथा सतर्कता और सावधानी से किया जाए।
भारत के दक्षिण पूर्व क्षेत्रों और देशों में लड़ाई, झगड़े , हिंसा जैसी घटनाएं देखने को मिल सकती है। वैश्विक और राजनीतिक क्षेत्रों में कूटनीति और बुद्धि चातुर्य से सफलता प्राप्त होगी। न्यायालय या वकालत के कार्य तथा प्रक्रियाएं उल्लेखनीय रहेंगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस , सेटेलाइट, ग्रह, नक्षत्र ,तारे ,अंतरिक्ष और आकाश के क्षेत्र में नए अनुसंधान ,अविष्कार और विचार के द्वारा मानव जाति का कल्याण होगा। इंटरनेट और समुद्री केबल के क्षेत्र में घटित घटनाएं ध्यान आकर्षित करेगी। जीवन रक्षक नई दवाइयों की खोज भी पूर्ण होगी । बैक्टीरिया एवं वायरस से संबंधित घटनाएं घटित होंगी जो सकारात्मक भी होंगी और नकारात्मक भी होंगी। यह व्यक्ति काल ,पात्र और देशों की निजी परिस्थितियों और व्यवस्था पर निर्भर करेगा ।चिकित्सा के क्षेत्र में नई तकनीक , अनुसंधान सफल होंगे और आई,वी,एफ,जैसे क्षेत्रों में कोई क्रांति संभव है , किंतु सामाजिक क्षेत्र में कटुता , उद्विग्नता, ईर्ष्या ,क्रोध इत्यादि प्रभावी हो सकते है अतः वाद-विवाद से बचें ,क्रोध को काबू में रखें ,और रिश्तों में तनाव को ना आने दें। अहंकार का त्याग और प्रभु भक्ति के साथ ही ईमानदारी और कर्मठता से सभी कार्य सिद्ध होगें ,और इस गोचर के अप्रिय प्रभावों का पता ही नहीं चलेगा ।जय श्री कृष्ण 🙏🙏🌹🌹
Comments